तिरंगा

सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी 


उन्हीं रंगों में रंग लो अपनी नई जवानी .
वीर भोग्या वसुंधरा ने येसा साज सजाया
हरी भूमि हरिताभ प्रकृति है हरा रंग है छाया
वहीँ रंग इसमें कहता है अपनी वहीँ कहानी 
सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी


सात रंगों से मिलकर बनता स्वेत रंग है छाया 
सातों वर्ण एक मानव हो उसनें पाठ पढाया 
सत्वर्नीं   सत्चित्त आनंद हो कह -कह यही कहानी 
सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी




उन्हीं पुत्रों का बाना केसरिया होता है 
जिनकी यादें कर कर अब तक ये भारत रोता है 
वहीँ वर्ण केसरिया कहता अपनी वहीँ कहानी 
सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी




भारत माँ की बेटी बेटों कुछ तो माँ की सेवा कर लो 
सेवा करके जन सेवक बन मेवाओं से झोली भर लो 
देश जाती की उन्नति करके कह दो वहीँ कहानी 
सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी






वीर प्रसूता धरती का एक लाल अशोक कहाया 
चिन्ह  उसी का बोध चक्र है जिसने बोध सिखाया   
बोध प्राप्त  उससे  भी कर लो सुनकर यही कहानी 
सुनों तिरंगे के रंगों में लिपटी अमर कहानी




Post a Comment

Previous Post Next Post