जब छोटा था तो दादी बताया करती थी, श्रीराम जी वनवास को जा रहे थे तो लोग उन्हें अयोध्या की सीमा तक छोड्ने आयेा समझदार तो विलाप कर उन्हें विदा कर लौट गए लेकिन कुछ न घर लौटे न घाट। श्री राम की बाट जोहते रहे, बाद में यही बन गए किन्नर।
चुनाव के दौरान ऐसे ही एक किन्नर प्रत्याशी से सवाल पूछा,
सवाल...आप चुनाव क्यों लड् रहे है.
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जवाब......हम औरों...की तरह सिर्फ खडे् नहीं हैं। हम तो नाच रहे हैं, गा रहे हैं, लोगों का दिल बहला रहे हैं। गैरों को अपना बना रहे हैं, वोट दो तो अच्छा, वर्ना अपने घर खुश रहो बच्चा।
सवाल........ समाज में आपकी इमेज जिस तरह की है उससे लगता है कि लोग आपको वो देंगे....
जवाब........ कम से कम हमारी विरादरी के लोग तिहाड् तो नहीं जाते है, केवल ''तू जी तूजी नहीं करते....., हम तो 'सबजी सबजी' के हिमायती हैं। हम खेल में घोटालों का खेल नहीं खेलते। वे बेल कराते हैं हम दिलों का मेल कराते हैं, जरा एक बार अपने दिल पर हाथ रखकर इमानदारी से बताइये, अब तक जिन्हें वोट दे रहे थे क्या वे सारे के सारे अपनी बात को, वादों को करने वाले मर्द निकले....नहीं न। तो फिर हमे आजमाने में क्या एतराज.....
सवाल..... आपका चुनावी नारा क्या है...
जवाब..... जो हमसे टकरायेगा, हम जैसा हो जाएगा...
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