जाने रामचरित मानस के सुन्दरकाण्ड का रहस्य




गोस्वामी तुलसीदास की सबसे कालजयी कृति "रामचरित मानस" को आपने जरुर पढ़ा होगा| क्या कभी आपने यह सोचा है कि रामचरित मानस के कुंदर काण्ड को छोड़कर अन्य सभी कांडों के नाम व्यक्ति या स्थितियों के नाम पर रखा गया है| जैसे बाललीला का बालकाण्ड, अयोध्या की घटनाओं का अयोध्या काण्ड, जंगल के जीवन का अरण्य काण्ड, किष्किंधा राज्य के कारण किष्किंधा काण्ड, लंका के युद्ध की चर्चा लंका काण्ड में और जीवन के प्रश्नों का उत्तर फिलॉसफी के साथ उत्तरकाण्ड में दिया गया है। फिर अचानक सुंदरकाण्ड का नाम सुंदर क्यों रखा गया? 

क्या आपको पता है सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दर क्यों रखा गया है? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि सुन्दरकाण्ड का नाम सुन्दर क्यों रखा गया है| दरअसल, लंका त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी। तीन पर्वत थे - पहला सुबैल, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था। दूसरा, नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे और तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत| सुन्दर पर्वत पर ही अशोक वाटिका थी इसी अशोक वाटिका में ही हनुमान जी और सीताजी का मिलन हुआ था इसीलिए इस काण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया| 

यहां की घटनाओं में हनुमानजी ने एक विशेष शैली अपनाई थी। वे अपने योग्य प्रबंधक शिष्यों को योगी प्रबंधक बनाते हैं, जिसकी आज जरूरत है। सुंदरकाण्ड में इन्हीं बातों के इशारे हैं। 

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