आप जब भी मंदिर में जाते होंगे तो आपने यह जरुर देखा होगा कि मंदिर में सभी
देवताओं की साकार पूजा होती है लेकिन भगवान भोलेनाथ की हमेशा लिंग रूप में
ही पूजा की जाती हैं| क्या आपको पता है कि आखिर भगवान शंकर की लिंग रूप
में पूजा क्यों होती है? अगर नहीं पता है तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर
शिव की लिंग रूप में पूजा क्यों की जाती है|
शिवमहापुराण में कहा गया है कि एकमात्र भगवान शिव ही ब्रह्मरूप होने के
कारण निष्कल (निराकार) कहे गए हैं। रूपवान होने के कारण उन्हें सकल (साकार)
भी कहा गया है। इसलिए शिव सकल व निष्कल दोनों हैं। उनकी पूजा का आधारभूत
लिंग भी निराकार ही है अर्थात शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है।
इसी तरह शिव के सकल या साकार होने के कारण उनकी पूजा का आधारभूत विग्रह
साकार प्राप्त होता है अर्थात शिव का साकार विग्रह उनके साकार स्वरूप का
प्रतीक होता है।
सकल और अकल रूप होने से ही वे ब्रह्म शब्द कहे जाने वाले परमात्मा हैं। यही
कारण है सिर्फ शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनका पूजन निराकार(लिंग) तथा
साकार(मूर्ति) दोनों रूप में किया जाता है।

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