लक्ष्मण ने की थी मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना





भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास सावन शुरू हो चुका है। कहा जाता है कि सावन में किया गया शिव पूजन, व्रत और उपवास बहुत फलदायी होता है। शास्त्रों में शिव का मतलब कल्याण करने वाला बताया गया है। 





भगवान भोलेनाथ के भक्त बाबा को प्रसन्न करने के लिए उनकी सेवा में जुट गए हैं। जगह-जगह शिव मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए भक्तों का तांता लगने लगा है। राजधानी के मनकामेश्र्वर मंदिर में भी सावन के प्रथम दिन से ही शिवभक्तों का ताँता लगा रहा| 





गोमती नदी के बाएं तट पर मन की सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले मनकामेश्वर मंदिर की खासी मान्यता है| कहा जाता है कि इसकी स्थापना लक्ष्मण ने की थी। माता सीता को वनवास छोड़ने के बाद लखनपुर के राजा लक्ष्मण ने इसी स्थान पर रुककर भगवान शिव की आराधना की थी। कालांतर में इसी स्थान पर मनकामेश्र्वर मंदिर की स्थापना की गई। 





बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण राजा हिरण्यधनु ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के उल्लास में कराया था। मंदिर के शिखर पर 23 स्वर्णकलश थे। दक्षिण के शिव भक्तों और पूर्व के तारकेश्वर मन्दिर के उपासक साहनियों ने मध्यकाल तक इस मंदिर के मूल स्वरूप में बनाए रखा था। आज के भव्य मंदिर का निर्माण सेठ पूरन शाह ने कराया।





इस मंदिर की मान्यता है कि जो भी शिवभक्त यहाँ सच्चे मन से जो भी कुछ मांगता है, उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। सावन के प्रत्येक सोमवार को मनकामेश्र्वर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ मौजूद रहती है। मंदिर में काले रंग का शिवलिंग है और उसपर चांदी का छत्र विराजमान है। सावन में भगवान शिव का श्रृंगार करने के लिए शिव भक्तों में खासा उत्साह देखने को मिलता है।


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