यासीन भटकल: एक आतंकवादी की कहानी



कर्नाटक के भटकल गांव में एक अभियांत्रिकी विद्यालय में जेहाद पर व्याख्यान सुनने के बाद 19 वर्षीय युवा यासीन भटकल की भावनाएं कट्टरपंथ से काफी प्रभावित हुईं। इसके चार वर्ष बाद उसने एक संगठन स्थापित किया तथा देशभर में बम विस्फोटों एवं हत्या का तांडव करने लगा। बुधवार की रात नेपाल सीमा से गिरफ्तार भटकल से पूछताछ करने के बाद पुलिस अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 15 जनवरी, 1983 को जन्मे भटकल का असली नाम मोहम्मद जर्रार अहमद सिद्धिबापा है तथा वह कर्नाटक की राजधानी बेंगलूरू से 400 किलोमीटर दूर उत्तरा कन्नड़ा जिले के भटकल गांव का रहने वाला है।



पुलिस ने बताया कि भटकल उग्र स्वभाव का है, तथा अमेरिका में हुए आतंकी हमले 9/11 के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप तथा गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बाद कट्टरपंथ की तरफ झुक गया। जेहाद के प्रति रूझान होने के कारण भटकल इंजीनियरिंग महाविद्यालय के पुस्तकालय में इस्लाम से संबंधित पुस्तकें एवं लेख पढ़ने जाया करता था, तथा इस्लाम में वर्णित पवित्र युद्ध के संदेश से वह विशेष तौर पर प्रभावित था।

पुलिस ने बताया कि 2002 के अक्टूबर महीने में भटकल ने मौलाना शीष का व्याख्यान सुना। संभवत: पाकिस्तान के मौलाना शीष बेहद प्रभावकारी वक्ता माने जाते हैं। मौलाना शीष के व्याख्यान से प्रभावित भटकल ने उनसे निजी तौर पर मुलाकात की तथा उसे बाद में कट्टरपंथ के विचारों का हिमायती बना दिया गया तथा भारत और उसके निवासियों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए प्रेरित कर दिया गया। भटकल ने 2007 में छह अन्य लोगों के साथ मिलकर इंडियन मुजाहिदीन की स्थापना की।

इस समूह ने अनेक बम विस्फोट कर भारत में जमकर आतंक फैलाया। इस संगठन द्वारा किए गए आतंकी हमलों में 2010 में पुणे के जर्मन बेकरी में किया गया बम विस्फोट था, जिसमें 17 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। जयपुर में भी एक ही समय पर नौ बम विस्फोट करने के पीछे भी इसी संगठन का हाथ माना जाता है। इस विस्फोट में 60 लोगों की मौत हो गई थी, तथा इसी वर्ष आईएम द्वारा दिल्ली में किए गए बम विस्फोट में 30 व्यक्ति मारे गए थे।

भटकल 2008 में दिल्ली लौटा तथा जामिया नगर इलाके में शादी रचाई। इसके कुछ ही सप्ताह बाद दिल्ली में बम विस्फोट हुए। आईएम को सरकार द्वारा 2010 में आतंकवादी संगठन घोषित किया गया। भारत सरकार द्वारा अतिवांछित एवं खतरनाक आतंकवादी संगठन आईएम का मुख्य कार्यकर्ता भटकल पिछले पांच वर्षो से फरार चल रहा था, तथा नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान में शरण लिए हुए था।


 


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