उप्र में ईमानदार अफसर झेल रहे दबाव





उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं और मंत्रियों की कार्यशैली ईमानदार अधिकारियों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। ईमानदारी एवं निष्ठा से काम करने वाले अधिकारी राजनीतिक दबाव की वजह से परेशान हैं। अनुचित दबाव से बचने के लिए अधिकारी राज्य को छोड़कर अन्यत्र प्रतिनियुक्ति चाहते हैं। 





सूबे के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) अरुण कुमार द्वारा केंद्रीय प्रतिनिुक्त पर भेजे जाने की मांग करने के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या उप्र में ईमानदार अधिकारियों के काम करने लायक माहौल रह गया है? ताजा मामले के मुताबिक, सूबे के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी अरुण कुमार ने पुलिस महानिदेशक देवराज नागर और शासन को पत्र लिखकर प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए कार्यमुक्त करने की मांग की है। 





इस बीच शासन की तरफ से आधिकारिक तौर पर यह बताया गया है कि वह छुट्टी पर चले गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि मुजफ्फनगर हिंसा के बाद ऐसे हालात बने हैं जिसके बाद अरुण कुमार को यह कदम उठाना पड़ा है। सूत्र बताते हैं कि हिंसा के दौरान उनकी एक नहीं चलने दी गई, जिसके बाद उन्होंने नाराज होकर यह कदम उठाया है। सूबे के अधिकारियों की ओर से हालांकि हवाला यह दिया जा रहा है कि अरुण कुमार ने दो महीने पहले ही प्रतिनियुक्ति को लेकर पत्र लिखा था, लेकिन दो सितंबर को अरुण कुमार की ओर से भेजे गए रिमाइंडर के बाद इस मामले ने अब तूल पकड़ लिया है।





अरुण कुमार के अलावा ताजा मामला गोंडा का है। यहां के सपा नेताओं ने जिलाधिकारी डा. रोशन जैकब के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। सपा के जिला अध्यक्ष ने जिलाधिकारी पर आरोप लगाया है कि वह तानाशाही रवैया अपना रही है। अब यह मामला अखिलेश के दरबार में पहुंच गया है। 





इस बीच जिलाधिकारी जैकब ने कहा कि उन पर लग रहे आरोप निराधार हैं और सौहार्द्र कायम करने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं। इससे पूर्व नोएडा के सपा नेता और कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त नरेश भाटी के दबाव में ही सपा सरकार को महिला आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित करना पड़ा था। भाटी का बयान भी तब विवाद का कारण बना था और सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।





अरुण कुमार के अलावा अमृत अभिजात, पार्थसारथी सेन और नीरज गुप्ता जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी लंबी छुट्टी पर चले गए। सूबे पूर्व महानिदेशक के.एल. गुप्ता ने कहा, "मैं जब सूबे का पुलिस महानिदेशक था तब ईमानदार अधिकारियों को काम करने की पूरी छूट थी और तब किसी नेता का हस्तक्षेप नहीं होता था, लेकिन अब क्या स्थितियां हैं यह तो अंदर काम कर रहे अधिकारी ही बता सकते हैं।"





अरुण कुमार की प्रतिनियुक्ति पर जाने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर गुप्ता ने कहा, "यह कोई नई बात नहीं है। अधिकारी प्रतिनियुक्ति पर हमेशा से ही केंद्र में जाते रहे हैं, लेकिन वह किन परिस्थतियों में जा रहे हैं यह तो वही बता सकते हैं।" सूबे के कद्दावर मंत्री आजम खान ने भी कुछ दिनों पहले प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) प्रबीर कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रबीर कुमार पर सांप्रदायिक मानसिकता वाला होने के आरोप लगाए थे।





सूबे में अधिकारियों के काम करने लायक महौल पर विपक्षी भी लगातार सवाल उठा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि उप्र में अधिकारियों के काम करने लायक माहौल ही नहीं बन पा रहा है। सरकार सारे अधिकारियों पर साजिश रचने का आरोप लगा रही है। ऐसे में सूबे का काम कैसे चलेगा, यह बड़ा सवाल है।





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