भारत के पश्चिम बंगाल में स्थित इकलौता पर्वतीय पर्यटन स्थल दार्जिलिंग
दुनिया के खुबसूरत पर्वतीय स्थलों में से जाना जाता है। अपने खूबसूरती के
कारण ही इसे पहाड़ियों की रानी कहा जाता है। यहां की औसत ऊँचाई 2,134 मीटर
है। चाय के बागानों के लिए मशहूर दार्जिलिंग हिमालय की पहाड़ियों के मोहक
नजारे दिखाता है। दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पत्ति दो तिब्बती शब्दों, दोर्जे
(बज्र) और लिंग (स्थान) से हुई है। इस का अर्थ "बज्र का स्थान है।"
यहां मंदिरों व मठों के जरिए अध्यात्म का संदेश गूंजता है। ट्रेकिंग के
लिए भी यह बेस्ट जगह है। फिर टॉय ट्रेन का रोमांच भी है। यानी हर एज ग्रुप
के लिए यहां कुछ न कुछ खास जरूर है । 1835 में अंग्रेजो ने लीज पर लेकर इसे
हिल स्टेशन की तरह विकसित करना प्रारम्भ किया। फिर चाय की खेती और
दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की स्थापना और शैक्षणिक संस्थानों की शुरुआत भी
हुई। कुछ इस तरह से 'क्वीन ओफ हिल्स' का विकास शुरू हुआ। दार्जिलिंग की
यात्रा का एक खास आकर्षण हरे भरे चाय के बागान हैं। हजारों देशों में
निर्यात होने वाली दार्जिलिंग की चाय सबको खूब भाती हैं।
यह शहर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां सड़कों का जाल बिछा हुआ है। ये
सड़के एक दूसरे से जुड़े हुए है। इन सड़कों पर घूमते हुए आपको पूरानी
इमारतें दिखाई देंगीं। ये इमारतें आज भी काफी आकर्षक प्रतीत होती है। आप
यहां कब्रिस्तान, पुराने स्कूल भवन तथा चर्चें भी देख सकते हैं। पुराने
समय की इमारतों के साथ-साथ आपकों यहां वर्तमान काल के कंकरीट के बने भवन भी
दिख जाएंगे। पुराने और नए भवनों का मेल इस शहर को एक खास सुंदरता प्रदान
करता है।
यहाँ स्थित टाइगर हिल शहर से 13 किमी दूर 8482 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
टाइगर हिल सूर्योदय के अद्भुत नजारे के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां
कंचनजंगा की पहाड़ियों के पीछे से सूर्योदय का सतरंगी नजारा देखने के लिए
रोजाना देश-विदेश के हजारों पर्यटक जुटते हैं। यहां से मौसम साफ रहने पर
विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी नजर आतीहै ।
यहाँ शाक्य मठ स्थित है। यह मठ दार्जिलिंग से 8 किलोमीटर दूर स्थित है
शाक्य मठ शाक्य संप्रदाय का ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण मठ है। इसकी स्थापना
1915 में की गई थी इसमें एक विशाल प्रार्थना कक्ष भी है माकडोग मठ यह मठ
चौरास्ता से 3 किलोमीटर की दूरी पर आलूबरी गांव में स्थित है यह बौद्ध धर्म
के योलमोवा संप्रदाय सेसंबंधित है और इसकी स्थापना श्री संगे लामा ने की
थी। बता दें कि यह एक छोटा सा संप्रदाय है , जो नेपाल केपूर्वोत्तर भाग से
दार्जिलिंग में आकर बस गया।
संजय गांधी जैविक उद्यान - इस उद्यान में रेड पांडा व ब्लैक बीयर समेत कई
दुर्लभ प्रजाति के जानवर व पक्षी हैं। इसके अलावा लायड्स बोटेनिकल गाडर्ेन
में तरह-तरह की वनस्पतियां देखी जा सकती हैं।रंगीन वैली पैसेंजर रोपवे -
शहर से तीन किमी दूर स्थित यह रोपवे देश का पहला यात्री रोपवे है। शहर के
चौकबाजार से टैक्सी से यहां तक पहुंच कर रोपवे की सवारी का आनंद उठाया जा
सकता है।
जपानी मंदिर विश्व में शांति लाने के लिए इस स्तूप की स्थापना फूजी गुरु
जो कि महात्मा गांधी के मित्र थे ने की थी। भारत में कुल छ: शांति स्तूप
हैं। निप्पोजन मायोजी बौद्ध मंदिर जो कि दार्जिलिंग में है भी इनमें से
एक है। इस मंदिर का निर्माण कार्य 1972 ई. में शुरु हुआ था। यह मंदिर 1
नवंबर 1992 ई. को आम लोगों के लिए खोला गया। इस मंदिर से पूरे दार्जिलिंग
और कंचनजंघा श्रेणी का अति सुंदर नजारा दिखता है। अगर आप कभी भी हिल्स
स्टेशन जाने का सोचे तो दार्जलिंग के बारे में जरुर सोचे। एक बार इन
खुबसूरत पहाड़ियों में आने के बाद जाने का मन नहीं होता।
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