भगवान श्रीकृष्ण की उपासना का पर्व है 'गोवर्धन पूजा



कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है| इस वर्ष
यह पर्व 4 नवंबर दिन सोमवार को मनाया जायेगा| यह पर्व उत्तर भारत में
विशेषकर मथुरा क्षेत्र में बहुत ही धूम-धाम और उल्लास के साथ मनाया जाता
है| इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है| यह पर्व श्रीकृष्ण की
भक्ति व प्रकृत्ति के प्रति उपासना व सम्मान को दर्शाता है|



गोवर्धन पूजा-

गाय के गोबर से गोवर्धननाथ जी की बनाकर उनका पूजन किया जाता है तथा अन्नकूट
का भोग लगाया जाता है| यह परम्परा आज से नहीं बल्कि द्वापर युग से चली आ
रही है| श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्थानों पर उल्लेख प्राप्त होते
हैं जिसके अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पूजा के स्थान पर
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा आरंभ करवाई थी| भगवान
श्रीकृष्ण इसी दिन इन्द्र का अहंकार धवस्त करके पर्वतराज गोवर्धन जी का
पूजन करने का आहवान किया था| इस विशेष दिन मन्दिरों में अन्नकूट किया जाता
है तथा संध्या समय गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा की जाती है|



गोवर्धन पूजा महत्व-

गोवर्धन पूजा के विषय में एक कथा प्रसिद्ध है| जिसके अनुसार ब्रजवासी
देवराज इन्द्र की पूजा किया करते थे क्योंकि देवराज इन्द्र प्रसन्न होने पर
वर्षा का आशीर्वाद देते जिससे अन्न पैदा होता| किंतु इस पर भगवान श्री
कृष्ण ने ब्रजवासीयों को समझाया कि इससे अच्छे तो हमारे पर्वत है, जो हमारी
गायों को भोजन देते है| ब्रज के लोगों ने भगवान कृष्ण की बात मानकर
गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी प्रारम्भ कर दी| जब इन्द्र देव ने देखा कि सभी
लोग मेरी पूजा करने के स्थान पर गोवर्धन पर्वत की पूजा कर रहे है, तो उनके
अंह को ठेस पहुँची क्रोधित होकर उन्होने ने मेघों को गोकुल में जाकर खूब
बरसने का आदेश दिया आदेश पाकर मेघ ब्रजभूमि में मूसलाधार बारिश करने लगें|
ऎसी बारिश देख कर सभी भयभीत हो गये तथा श्री कृष्ण की शरण में पहुंचें,
श्री कृ्ष्ण से सभी को गोवर्धन पर्व की शरण में चलने को कहा| जब सब गोवर्धन
पर्वत के निकट पहुंचे तो श्री कृ्ष्ण ने गोवर्धन को अपनी कनिष्का अंगूली
पर उठा लिया| सभी ब्रजवासी भाग कर गोवर्धन पर्वत की नीचे चले गये|
ब्रजवासियों पर एक बूंद भी जल नहीं गिरा| यह चमत्कार देखकर इन्द्रदेव को
अपनी गलती का अहसास हुआ और वे श्री कृ्ष्ण से क्षमा मांगी सात दिन बाद श्री
कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत नीचे रखा और ब्रजबादियों को प्रतिवर्ष गोवर्धन
पूजा और अन्नकूट पर्व मनाने को कहा| तभी से यह पर्व इस दिन से मनाया जाता
है|






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