नमो के सहारे अवध में वापसी चाहती है भाजपा



भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अवध क्षेत्र हमेशा से महत्वपूर्ण रहा
है, लेकिन पिछले कुछ समय से भाजपा को इस इलाके में नुकसान पहुंचा है। अवध
क्षेत्र में आने वाली 17 लोकसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट ही वर्तमान में
भाजपा के पास है। नमो के सहारे भाजपा एक बार फिर इस इलाके में अपनी खोई
ताकत हासिल करने में जुटी है।



राष्ट्रीयता, हिन्दुत्व और स्वयं सेवक संघ की जड़ें इस क्षेत्र में हमेशा
से गहरी रही हैं। अटल बिहारी वाजपेयी, नानाजी देशमुख, के. के. नायर जैसे
लोगों की यह कर्मभूमि रही है। गोंडा में नानाजी का 'जय प्रभा ग्राम' आज भी
कई प्रकल्पों के जरिए इस इलाके में सेवा कार्य चलाता है। हाल के कुछ वर्षो
में इस क्षेत्र में भाजपा के गौरवशाली इतिहास को काफी नुकसान पहुंचा है।
कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने विधानसभा
और लोकसभा चुनावों में इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया है।



अवध क्षेत्र की 17 लोकसभा सीटों में केवल एक लखनऊ ही भाजपा के पास है। इस
इलाके में कुल 85 विधानसभा क्षेत्र आते हैं और भाजपा की कोशिश है कि मोदी
की रैली के जरिए एक बार फिर यहां के कार्यकर्ताओं और जनता में पार्टी के
प्रति उत्साह का संचार होगा। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने
कहा, "अवध क्षेत्र अटल बिहारी वाजपेयी और नानाजी देशमुख जैसे नेताओं की
कर्मभूमि रही है। अलग-अलग समय में 17 में से 16 लोकसभा सीटों पर पार्टी
विजय भी हासिल कर चुकी है। नरेंद्र मोदी की रैली के बाद पार्टी एक बार फिर
वही इतिहास दोहराएगी।"



मोदी के लिए भी बहराइच काफी भाग्यशाली रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2001 में
उन्होंने यहां कार्यकर्ता सम्मेलन में बतौर राष्ट्रीय महामंत्री हिस्सा
लिया था। मोदी का कद तब इतना बड़ा नहीं था। कार्यकर्ता सम्मेलन में हिस्सा
लेने के बाद मोदी जब वापस लौटे थे, तभी उन्हें भाजपा ने केशुभाई पटेल की
जगह गुजरात का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया था। 





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