विश्व की सबसे बड़ी आद्रभूमियों में से एक हिमालय की तराई में निर्मित कृत्रिम आद्रभूमि पोंग डैम इस समय लगभग 43,000 कलहंसों का निवास स्थल है। वन्यजीव अधिकारियों का कहना है कि यह विश्व में कुल कलहंसों की लगभग आधी आबादी है, जो हिमाचल प्रदेश के पोंग डैम में आश्रय लिए हुए हैं।
अधिकारियों का कहना है कि इस बार पोंग आद्रभूमि में पिछले वर्षो की अपेक्षा अधिक संख्या में कलहंस पहुंचे हैं। वन (वन्यजीव) के सहायक संरक्षक डी. एस. डडवाल ने कहा, "आद्रभूमि में रहने वाली पक्षियों की प्रजाति की गणना में लगभग 43,000 प्रवासी पक्षियों की मौजूदगी का पता चला है। राज्य वन्यजीव विभाग ने 29 जनवरी को पोंग जलाशय में पक्षी गणना कराई थी।"
कलहंसों के अलावा कांगड़ा घाटी स्थित पोंग जलाशय में सामान्य कूट पक्षी, पिनटेल, सामान्य एवं गुच्छेदार तथा लाल कलगी वाले पोचार्ड प्रजाति के बत्तख, सामान्य चैती, छोटे जलकाग, बड़ी कलगी वाले ग्रेब और भूरी टांगों वाले कलहंस जैसी प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी का पता चला है।
पक्षी गणना में 119 प्रजातियों के 1,28,200 पक्षियों की मौजूदगी का पता चला है। साथ ही भारतीय आद्रभूमि क्षेत्र में कम ही दिखने वाले सामान्य शेलडक, सारस क्रेन, मछलियों का शिकार करने वाले बाज (ओस्प्रे), बफ बेलीड पिपिट, भारत में पाया जाने वाला स्किमर और छोटा गुल आधि प्रजाति के पक्षियों की मौजूदगी का भी पता चला है।
डडवाल ने कहा कि पोंग डैम में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में कलहंस पक्षियों ने डेरा डाला है। कलहंस हर वर्ष सर्दियों में मध्य एशिया तथा तिब्बत और लद्दाख से यहां प्रवास पर आते हैं। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सहायक निदेशक एस. बालाचंद्रन ने बताया कि कलहंस पक्ष बड़ी संख्या में पोंग डैम की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। पोंग डैम आद्रभूमि क्षेत्र में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 421 प्रजातियां, सांपों की 18 प्रजातियां, तितलियों की 90 प्रजातियां, स्तनपाई जीवों की 24 प्रजातियां और मछलियों की 27 प्रजातियां पाई जाती हैं।
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