
सभी देवताओं में गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है आपने यदि श्री गणेश
तस्वीर पर ध्यान दिया होगा तो उनके हाथ में उनका प्रिय भोजन मोदक जरुर रहता
है| क्या आपको पता है कि गणेश जी अन्य भोग की जगह मोदक इतना क्यों पसंद
है?
शास्त्रों में कहा गया है कि गजानन का एक दांत परशुराम जी के साथ हुए युद्ध
में टूट गया था| दांत के टूट जाने से उन्हें अन्य चीजों को खाने में तकलीफ
होती थी क्योंकि उन्हें चबाना पड़ता था लेकिन मोदक को चबाना नहीं पड़ता है
ऐसा इसलिए क्योंकि मोदक बहुत मुलायम होता है|
भगवान गणेश को मोदक इसलिए भी पसंद हो सकता है कि मोदक प्रसन्नता प्रदान
करने वाला मिष्टान है। मोदक के शब्दों पर गौर करें तो 'मोद' का अर्थ होता
है हर्ष यानी खुशी। भगवान गणेश को शास्त्रों में मंगलकारी एवं सदैव प्रसन्न
रहने वाला देवता कहा गया है।
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में गणेश जी को मोदक प्रिय होने की जो कथा मिलती
है उसके अनुसार मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। देवताओं ने एक दिव्य मोदक
माता पार्वती को दिया। गणेश जी ने मोदक के गुणों का वर्णन माता पार्वती से
सुना तो मोदक खाने की इच्छा बढ़ गयी। अपनी चतुराई से गणेश जी ने माता से
मोदक प्राप्त कर लिया। गणेश जी को मोदक इतना पसंद आया कि उस दिन से गणेश
मोदक प्रिय बन गये।
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