कितने जागरूक हैं हम?





‘एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेन्सी सिन्ड्रोम’ (एड्स) के बारे में आज शायद ही ऐसा कोई होगा जो इससे अनभिज्ञ हो| एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सरकार और समाजसेवी संस्था समय-समय पर इससे सम्बंधित अभियान चला रही हैं, लेकिन जो सबसे दुःख की बात है वह यह है कि सरकार व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा चलाये गए इन अभियानों के बाद भी लोग अनजान बने हुए हैं| हर साल की तरह आज (1 दिसंबर 2015) भी ‘विश्व एड्स दिवस’ दुनियाभर में मनाया जा रहा है|





‘विश्व एड्स दिवस’ के अवसर पर सरकार विभिन्न स्थानों पर समारोह आयोजित कर लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है| लेकिन अगर देखा जाये तो एक सच ये भी है कि आज भी हमारे देश में, हमारे शहर में और हमारे गाँव में एड्स के चक्रवात में फँसे लोगों की स्थिति बेहतर नहीं है|





आखिर क्यों कतराते हैं लोग





हमारे देश में जो लोग एड्स से पीड़ित हैं वह इस बात को स्वीकार करने से कतराते हैं| जिसका मुख्य कारण है ‘भेदभाव’| कहीं न कहीं, आज भी एचआईवी पॉजीटिव व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है| अगर एड्स पीड़ित व्यक्ति के प्रति सद्भावना का भाव रखा जाये तो इस स्थिति में सुधार लाया जा सकता है| लेकिन ये तभी हो सकता है जब देश का हर नागरिक इसके प्रति जागरूक हो और अपना अहम योगदान देने के लिए तात्पर्य हो|





निम्न वर्ग में एड्स पीड़ितों की संख्या अधिक





बात अगर जागरूकता की करे तो ये कहना गलत नहीं होगा कि उच्च वर्ग की अपेक्षा निम्न वर्ग में इसके प्रति लोग कम जागरूक हैं| निम्न वर्ग के लोगों में अभी भी जानकारी का अभाव है| इसलिए भी इस वर्ग में ‘एचआईवी पॉजीटिव’ लोगों की संख्या अधिक है| जबकि बहुत सी संस्थाएँ निम्न वर्ग के लोगों में इस बात के प्रति जागरूकता अभियान चला रही हैं|





कई बार ऐसा होता है कि लोगों को इस बारे में जानकारी होती है लेकिन वह किसी तरह की कोई सावधानी नहीं बरतना चाहते| जिन कारणों से ‘एड्स’ होता है उससे बचने के बजाए अनदेखा कर जाते हैं| वहीँ कई लोग असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित रक्त के कारण एड्स की चपेट में आते हैं|





एड्स के खिलाफ कार्य कर रही कई सरकारी संस्थाएँ





‘एड्स’ के खिलाफ आज देश में कई समाज सेवी और सरकारी संस्थाएँ कार्य कर रही हैं| इनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, एड्स से पीड़ित लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाना व उनका उपचार कराना है| इन संस्थानों में से कुछ ‘फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया’, ‘विश्वास’, ‘भारतीय ग्रामीण महिला संघ’ और ‘मध्यप्रदेश वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन आदि है| इन संस्थानों का मुख्य उद्देश्य ‘एचआईवी मुक्त समाज’ का निर्माण करना है| संस्थानों का मानना है कि एड्स की वजह से फैले भेदभाव को कम करने के लिए ‘एचआईवी कानून’ की बेहद जरुरी है|


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