आपने खेती करने वाले बहुत से किसानों की संघर्ष भरी कहानी पढ़ी और सुनी होगी, जो अपनी आजीविका चलाने के साथ-साथ लोगों की अन्न सम्बंधी ज़रूरतों को पूरा करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी ऐसे शख़्स के बारे में सुना है, जो इंसानों के लिए नहीं बल्कि बेजुबां पक्षियों के लिए अनाज उगाता है। यकीनन इस शख़्स की दिलचस्प कहानी जानने के बाद आपको भी एहसास होगा कि भूख सिर्फ़ इंसानों को नहीं बल्कि प्रकृति द्वारा निर्मित हर जीव को लगती है, लेकिन उनकी ज़रूरतों का ख़्याल सिर्फ़ चंद लोग ही रख पाते हैं।
नेकी की मिसाल पेश करता किसान
तमिलनाडु के कोयंबटूर में रहने वाले मुथु मुरुगन (Muthu Murugan) नामक किसान अपनी आधी एकड़ ज़मीन में सिर्फ़ चिड़ियों के खाने के लिए अनाज उगाते हैं, जिसे खाकर हजारों पक्षियों की भूख मिटती है। 62 वर्षीय मुथु मुरुगन पेशे से एक किसान हैं, जो सन् 1990 से बिना किसी कैमिकल खाद का इस्तेमाल किए खेती कर रहे हैं।
मुथु मुरुगन अपनी किसानी के शुरुआती दौर से ही चिड़िया समेत दूसरे पक्षियों के लिए अनाज उगाने का काम करते थे, लेकिन पहले वह सिर्फ़ खेतों के बॉर्डर पर ही चिड़ियों के लिए अनाज उगाया करते थे। लेकिन मुथु को जल्द ही एहसास हो गया कि खेत में फ़सल खाने के लिए आने वाले पक्षियों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है, ऐसे में उन्होंने पक्षियों के लिए अगल से खेती करने का फ़ैसला किया।
आधी एकड़ ज़मीन में पक्षियों के उगाते हैं अनाज
मुथु मुरुगन ने जल्द ही खेतों के किनारों के बजाय मुख्य खेत पर ही पक्षियों के लिए खेती करना शुरू कर दिया, इसके लिए उन्होंने अपनी आधी एकड़ ज़मीन पर उगी फ़सल को काट कर उसमें बाजरा और चारा उगा दिया। मुथु मुरुगन ने अपने खेत को दो हिस्सों में बांट दिया, जिसमें से उन्होंने 0.25 एकड़ में बाजरा और 0.25 एकड़ के हिस्से में चारे की खेती कर दी।
बाजरे और चारे की खेती महज़ 1 महीने में ही पककर तैयार हो जाती है, ऐसे में फ़सल उगते ही मुथु मुरुगन के खेतों पर सैकड़ों चिड़ियाँ और पक्षी अनाज खाने के लिए इकट्ठा हो जाते हैं। मुरुगन के खेतों पर पक्षी इतनी ज़्यादा संख्या में आते हैं कि फ़सल को ख़त्म होने में 1 हफ्ते का भी समय नहीं लगता है। ऐसे में मुथु मुरुगन फ़सल ख़त्म होने के साथ ही पक्षियों के लिए दोबारा बाजरा और चारा उगाना शुरू कर देते हैं।
पर्यावरण की चिंता करते हैं मुथु मुरुगन
आपने बॉलीवुड फ़िल्म रोबोट 2.O में पक्षियों से प्रेम करने वाले पक्षी राजन को देखा होगा, लेकिन अगर असल ज़िन्दगी में पक्षी प्रेमी को देखा जाए तो वह कोयंबटूर के किसान मुथु मुरुगन ही हैं। जो पर्यावरण की चिंता करने के साथ-साथ पक्षियों से बहुत ज़्यादा प्यार भी करते हैं।
मुथु मुरुगन का मानना है कि बायोडायवर्सिटी के लिए पक्षियों और जीव जंतुओं का जीवित रहना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि इनके होने से ही खेतों पर फ़सल उगाई जा सकती है। सभी लोग बाघ और हाथी जैसे जीवों की भूख मिटाने और उनकी घटती आबादी को लेकर चिंतित रहते हैं, जबकि खेतों को उपजाऊ बनाने वाली चिड़ियाँ और पक्षियों की भूख के बारे में कोई नहीं सोचता है।
यही वज़ह है कि मुथु मुरुगन ने पक्षियों के लिए फ़सल उगाने की पहल की, ताकि भूख की वज़ह से पर्यावरण को सुरक्षित करने वाले इन खूबसूरत प्राणियों की मौत न हो। आपको बता दें कि मुथु मुरुगन फ़सल उगाने के लिए किसी भी तरह का पेस्टिसाइड यानी कीटनाशक इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिसकी वज़ह से कई बार उनकी फ़सल खराब भी हो जाती है।
हालांकि तमाम मुश्किलों के बावजूद भी मुथु मरुगन ने हार नहीं मानी और बिना कीटनाशक के ही खेतों पर फ़सल उगाई। मुथु न सिर्फ़ पक्षियों के लिए खेती करते हैं बल्कि उनकी आमदनी का एकमात्र जरिए फ़सल उगाना ही है। मुथु मुरुगन को केमिकल फ्री खेती करने के दो फायदें होते हैं, पहला-उनकी फ़सल से तैयार अनाज सेहत के लिए बिल्कुल भी हानिकारक नहीं होता और दूसरा-केमिकल फ्री फ़सल का स्वाद चखने के लिए दूर-दूर से पक्षी मुथु मुरुगन के खेतों में आती हैं।
आज मुथु मुरुगन चिड़िया समेत पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियों के बारे में जानते हैं और कभी-कभी तो उन्हें दुर्लभ प्रजाति की चिड़ियाँ भी देखने को मिल जाती हैं। मुथु मुरुगन अपनी इस केमिकल फ्री खेती की तकनीक से बहुत ज़्यादा खुश हैं, क्योंकि उन्हें संतुष्टि है कि वह आम इंसान के साथ-साथ पक्षियों की भूख मिटाने का भी काम कर रहे हैं। देखा जाए तो मुथु मुरुगन सिर्फ़ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि पक्षियों के भी अन्नदाता हैं।
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