![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZjemoNzCy_tc6by6b0L_j2UTpLtUWuXUfaKUk9bjnSEFcF5IGNctKtwkRJ0kvWK6NNVgAmHCu3UNzxsgoN1YEbr2ZFIweIoOsU5ESumwlWU5Uof15KKryFNm_FywQA5qO4NvEt6ZCyfFI/s1600/55028.jpg)
आपको बता दें कि नारियल ऊपर से जितना कठोर होता है अंदर से उतना मुलायम। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। पूजा में हम भगवान को श्रीफल अर्पित करते हैं। हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि नारियल तोड़ने का कारण अनिष्ट शक्तियों के संचार पर अंकुश लगाना उन्हें प्रसन्न करना। इसलिए प्रथम नारियल फोडकर स्थान देवता का आवाहन कर वहां की स्थानीय अनिष्ट शक्तियों को नियंत्रित करने की उनसे प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना द्वारा स्थान देवता के आवाहन से उनकी कृपा स्वरूप नारियल-जल के माध्यम से स्थान देवता की तरंगें सभी दिशाओं में फैलती हैं। इससे कार्यस्थल में प्रवेश करने वाली कष्टदायी स्पंदनों की गति पर अंकुश लगाना संभव होता है।
माना जाता है इससे उस परिसर में स्थान-देवता की सूक्ष्म-तरंगोंका मंडल तैयार होता है व समारोह निर्विघ्न संपन्न होता है।
नारियल का एक उपयोग देवी या देवता के स्थान पर फोड़ने में होता है, फोड़ने में ऎसी कुशलता होनी चाहिए चाहिए कि रस छलककर पूरा का पूरा देवता के चरणों पर पड़े, कहीं अन्यत्र नहीं। यह फोड़ना आसान नही होता।
Post a Comment