छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम का ननिहाल माना जाता है। अपने वनवास के दौरान कुछ समय उन्होंने यहां बिताए थे। श्रीराम की माता कौशल्या का एकमात्र मंदिर भी यही मौजूद हैं।
अविभाजित रायपुर जिले के कसडोल विकासखंड अंतर्गत गिधौरी के विश्राम वट में भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान आकर विश्राम किया था। यहां उनके पदचिह्न् आज भी मौजूद हैं जिसकी पूजा की जाती है। माघ पूर्णिमा के दिन यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं और इसके बाद ही शिवरीनारायण के मंदिर का दर्शन करने जाते हैं।
भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान रतनपुर के राम टेकरी के बाद शिवरीनारायण आए थे। वहां सौरिन दाई के जूठे बेर खाए थे। उसी स्थान पर प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा के अवसर पर 15 दिनों का मेला लगता है।
श्रीराम शिवरीनारायण से महानदी पार कर गिधौरी के महानदी वटवृक्ष के पास विश्राम किया जाता है। इसे विश्राम वट के नाम से जाना जाता है। यहां पर भगवान श्रीराम का पदचिह्न् हैं, जिसकी पूजा की जाती है। पहले विश्राम वट के पास सिर्फ पदचिह्न् था, अब वहां पर एक मंदिर बना दिया गया है।
गिधौरी के सुधीराम वर्मा ने बताया कि यहां श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास नई दिल्ली से शोधकर्ता डा. राम अवतार शर्मा आए थे, उन्होंने भगवान श्रीराम के वनगमन स्थल की सूची पर शोध किया है। उनकी सूची में इस स्थल का 92 वां स्थान है।
इस सूची में छत्तीसगढ़ के रतनपुर रामटेकरी को 90, पैसर घाट 91, लक्ष्मणेश्वर 93, शिवरीनारायण 94, सिरपुर 96 नंबर पर है। इसी रास्ते से भगवान श्रीराम रामेश्वरम गए थे। इसका सूची में 232वां स्थान है। राम गमन शोध संस्थान भी इस दिशा में लगातार शोध कर रही हैं।
पर्दाफाश से साभार
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