वास्तु एक ऐसा माध्यम है जिसके सिद्धान्तों पर चलकर मनुष्य अपने जीवन को
सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और निरोगी बना सकता है। आज आपको वास्तु सम्मत से
जुडी कुछ उपयोगी जानकारी देने जा रहे हैं जिसका पालन कर आप अपने घर को सुखी
व समृद्धशाली बना सकते हैं।
आज कल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना आम बात हो गई है लेकिन
वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार इससे घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है।
इस दोष के कारण घर में रहने वालों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना
पड़ता है। पति-पत्नी एवं परिवार के अन्य सदस्यों के बीच अक्सर मनमुटाव एवं
वाद-विवाद की स्थिति बनी रहती है।
हमारे ज्योतिषाचार्य विजय कुमार बताते हैं कि मकान बनाते समय एक बात का
हमेशा ध्यान रखना चाहिए वह यह कि भवन के पूर्व दिशा में स्नानगृह होना
चाहिए। वहीँ, शौंचालय दक्षिण-पश्चिम दिशा के मध्य होना चाहिए| अब आप सोच
रहे होंगे कि आखिर क्या वजह है जो बाथरूम और टॉयलेट एक स्थान पर नहीं होना
चाहिए तो आपको बता दें कि वास्तुशास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का
वास है तथा शौचालय में राहू का। यदि किसी घर में स्नानगृह और शौचालय एक
साथ हैं तो चंद्रमा और राहू एक साथ होने से चंद्रमा को राहू से ग्रहण लग
जाता है, जिससे चंद्रमा दोषपूर्ण हो जाता है।
चंद्रमा के दूषित होते ही कई प्रकार के दोष उत्पन्न होने लगते हैं। चंद्रमा
मन और जल का कारक है और राहु विष का। इस युति से जल विष युक्त हो जाता है।
जिसका प्रभाव पहले तो व्यक्ति के मन पर पड़ता है और दूसरा उसके शरीर पर।
शास्त्रों में चन्द्रमा को सोम अर्थात अमृत कहा गया है और राहु का विष। इस
दशा में दोनों ही विपरीत तत्व हैं। इसलिए बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होने पर
परिवार में अलगाव होता है। लोगों में सहनशीलता की कमी आती है। इसलिए जहाँ
तक हो सके तो बाथरूम और टॉयलेट एक स्थान पर न बनाकर दी गई दिशा पर ही
बनाएं|
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तोड़ के अलग ले जाना पड़ेगा दोनो को अब लगता है :)
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