मिर्गी का इलाज दवाइयां हैं, जादू टोना नहीं





मिर्गी दुनिया भर में सबसे आम न्यूरोलॉजिकल समस्या है। यह किसी भी उम्र को प्रभावित करती है। बच्चों व 60-70 वर्ष में अधिक देखी जाती है। दुनिया भर में 50 लाख से अधिक लोग मिर्गी से प्रभावित हैं व इनमें से 80 प्रतिशत विकासशील देशों में रहते हैं। भारत में 9-10 लाख लोग मिर्गी से प्रभावित हैं जो वैश्विक बोझ का पांचवा हिस्सा है। यह कहना है राजधानी के सहारा हास्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डा. संदीप अग्रवाल का। डा. अग्रवाल ने शनिवार को प्रेस क्लब में संवाददाता सम्मेलन में बताया कि लोग अभी भी इस बीमारी के इलाज के जादू टोने का सहारा लेते हैं। जिससे बीमारी तो दूर नहीं होती बल्कि समय के साथ खतरनाक हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी का एक मात्र इलाज दवाईयां ही हैं।





मिर्गी व जब्ती में अन्तर-





मिर्गी व जब्ती में अन्तर है, जब्ती दिमाग में एक क्षणिक, अचानक, असामान्य व अत्यधिक न्यूरोनल गतिविधि के कारण होती है। जो व्यक्ति के व्यवहार को बदलने में सक्षम होती है। जब्ती बचपन व किशोरावस्था में आम है। जबकि मिर्गी, मनुष्य का सामान्य न्यूरोनल नेटवर्क के किसी कारण अति उत्तेजनीय न्यूरोनल नेटवर्क में परिवर्तित होने के कारण होती है। जिसमें मनुष्य बार-बार बेसबब (जिसका कोई कारण पहचानने योग्य नहीं होता है) जब्ती में परिवर्तित हो जाता है।





इलेक्ट्रलाइट असंतुलन, नशीली दवाओं के दुरुपयोग आदि कारण जिसकी वजह से होने वाले जब्ती को भी मिर्गी नहीं कहते हैं। ऐसे रोगियों को लंबी अवधि तक एन्टीएपिलेप्टिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। एक अन्य लक्षण को भी हम आमतौर पर मिर्गी मान लेते है- बेहोशी व एैठन या दौरा पड़ना एक ऐसी स्थिति है जिसमें शारीरिक मांस पेशियां तेजी से सिकुड़ती व शिथिल पड़ती हैं। जिससे शरीर में अनियंत्रित ऐंठन उत्पन्न होती है।





एंठन मिर्गी का एक लक्षण हो सकता है। सभी एंठन मिर्गी नहीं होते व सभी मिर्गी में एंठन नहीं होती।





कारण:-





मिर्गी मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले कई कारणों से होती है। ये कभी-कभी अनुवांशिक या अधिगृहित या दोनों हो सकते हंै। 60-75 प्रतिशत मिर्गी मामलों में कारण अज्ञात होता है। शेष 25-40 प्रतिशत लोगों में पहचानने योग्य कारण निम्न हो सकते हैं।





-अनुवांशिक





-जन्म के समय चोट या आक्सीजन की कमी





-गर्भावस्था में मस्तिष्क को क्षति





-मस्तिष्क आघात





-ब्रेन टयूमर





-संक्रमण (मैनिंजाइटिस, एड्स आदि)





लगभग आधे से अधिक रोगियों में दवाई द्वारा दौरे को नियंत्रित किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार की मिर्गी में लक्षण भिन्न-भिन्न होते हैं।





सामाजिक कलंक:-





एक सामान्य मनुष्य के मुकाबले एक मिर्गी रोगी को समाज मे रहना ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। भय व गलतफहमी की वजह से किशोरों में सामाजिक भेदभाव का जन्म देता है। इस प्रकार सही जानकारी का अभाव सामाजिक कलंक के स्थायीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।





विश्व प्रसिद्ध लोग मिर्गी के साथ:-





जुलियस सीजर, सिकन्दर, आगाथा क्रिस्टी, अल्फ्रेड नोबेल, जॉन्टी रोड्स आदि ने इतिहास में मिर्गी पर विजयी पाई है। तब अन्य क्यों नहीं?





मिथक व तथ्य-





मि.: मिर्गी भूत प्रेत के कारण होती है जादू टोना इसका इलाज है।





त.: मिर्गी एक विकार है इसका इलाज दवाएं है।





मि.: मिर्गी एक मानसिक बीमारी है।





त.: नहीं यह एक मस्तिष्क की बीमारी है।





मि.: मिर्गी संक्रामक है





त.: मिर्गी निश्चित रूप से संक्रामक नहीं है।





मि.: मिर्गी वंशानुगत है इसके लिए शादी नहीं करनी चाहिए।





त.: केवल 3 प्रतिशत लोगों में वंशानुगत होती है। इसका शादी से काई सम्बन्ध नहीं है।





मि.: विवाह मिर्गी का इलाज है।





त.: बिल्कुल नहीं, केवल दवाएं।





मि.: मिर्गी में जूता, प्याज सूघांना चाहिए या हाथ में चाभी देनी चाहिए।





त.: दौरा अपने आप बन्द होता है इन सबके कारण नहीं।





मि.: मिर्गी में मरीज के मुंह में चम्मच देना चाहिए।





त.: बिल्कुल नहीं ऐसा करने से मरीज के मुंह में चोट लग सकती।





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