तीज का त्यौहार भारत के भारत भागों में बहुत जोश और उल्लास के साथ मनाया
जाता है| यह त्यौहार खासतौर पर महिलाओं का त्यौहार है| तीज का आगमन वर्षा
ऋतु के आगमन के साथ ही आरंभ हो जाता है| सावन के महीने के आते ही आसमान
काले मेघों से आच्छ्दित हो जाता है और वर्षा की बौछर पड़ते ही हर वस्तु
नवरूप को प्राप्त करती है| ऎसे में भारतीय लोक जीवन में हरियाली तीज या
कजली तीज महोत्सव मनाया जाता है|
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन श्रावणी तीज, हरियाली तीज
मनायी जाती है इसे मधुस्रवा तृतीय या छोटी तीज भी कहा जाता है| इस बार
हरियाली तीज 31 जुलाई दिन गुरूवार को पड़ रही है| हरियाली तीज में महिलाएं
व्रत रखती हैं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती
हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं|
हरियाली तीज पूजा एवं व्रत-
अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिये स्त्रियां यह व्रत किया करती हैं|
इस दिन व्रत रखकर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर षोडशोपचार
पूजन किया जाता है जो रात्रि भर चलता है| सुंदर वस्त्र धारण किये जाते है
तथा कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है| इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि
जागरण किया जाता है| इस व्रत को करने वालि स्त्रियों को पार्वती के समान
सुख प्राप्त होता है|
हरियाली तीज कथा-
हरियाली तीज पर एक धार्मिक किवदंती प्रचलित है जिसके अनुसार पौराणिक काल
में देवी पार्वती भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए व्रत रखती हैं| जिस
कारण उन्हें भगवान शिव का मिलन प्राप्त हुआ था| इसके अतिरिक्त कहा जात है
कि श्रावण शुक्ल तृतीया के दिन देवी पार्वती ने सौ वर्षों की तपस्या साधना
पश्चात भगवान शिव को प्राप्त कर पातीं हैं| इसी कारण से विवाहित महिलाएं इस
व्रत को अपने सुखी विवाहित जीवन की कामना के लिए करती हैं| इस दिन
स्त्रियां माँ पार्वती का पूजन करती हैं अविवाहित और विवाहित स्त्री दोनों
ही इस व्रत को कर सकती हैं| समस्त उत्तर भारत में तीज पर्व बड़े उत्साह और
धूमधाम से मनाया जाता है|
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