राजनीति के प्रभावशाली परिवार में 19 नवंबर 1917 को जन्मी इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी जिन्हें सभी इंदिरा गांधी के नाम से जानते हैं, ने देश की पहली और एकमात्र प्रधानमंत्री बनने का गौरव अपने नाम किया था| इंदिरा गांधी ने लगातार तीन बार इस पद को सुशोभित किया| इंदिरा ने जब फिरोज़ गाँधी से विवाह किया तब उन्हें ‘गांधी’ उपनाम मिला था|
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| इस दौरान उन्होंने अपने साहस का परिचय भी दिया| उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पुलिस की नज़र से बचा कर अपने पिता के घर से एक महत्वपूर्ण दस्तावेज, जिसमें 1930 दशक के शुरुआत की एक प्रमुख क्रांतिकारी पहल की योजना थी, को अपने स्कूलबैग के माध्यम से बाहर निकाल लाई थीं|
इंदिरा गांधी ने 1950 के दशक में भारत के पहले प्रधानमंत्री और अपने पिता जवाहर लाल नेहरु के कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में काम किया था| अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में वे राज्यसभा सदस्य के रूप में चयनित हुईं| इससे कुछ कदम आगे बढ़ते हुए लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय का कार्यभार सम्भाला| एक राजनैतिक परिवार में जन्म लेने के कारण वह शुरुआत से ही राजनीति की तरफ आकर्षित थीं|
लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद तत्कालीन कॉंग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज ने इंदिरा को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक योगदान दिया| इंदिरा ने सबकी उम्मीदों पर खरा उतरते हुए जीत हासिल की और जनमानस में अपनी ख़ास छाप छोड़ी| अपने चमत्कारी व्यक्तित्व से वह भारतीय राजनीति में जननायक के रूप में उभरीं| इंदिरा ने महिलाओं को कमज़ोर समझने वाली उन सभी धारणाओं को चकनाचूर किया, जिसमें पुरुषप्रधान समाज ने महिला को कमज़ोर साबित करने की कोशिश की थी| उन्होंने सही मायने में ‘महिला सशक्तिकरण’ को सबके समक्ष प्रदर्शित किया|
इंदिरा ने ऐसे समय में भारतीय राजनीति में कदम रखा जब देश को एक सही नेता और नेतृत्व की ज़रूरत थी| उस समय इंदिरा गांधी रुपी इस सितारे ने भारतीय राजनीति को अपनी चमक से प्रकाशमय कर दिया| वह नेतृत्व संकट से जूझ रहे देश के लिए ‘संकटमोचन’ के रूप में सामने आयीं| शुरू में ‘गूंगी गुड़िया’ कहलाने वाली इंदिरा गाँधी ने अपने चमत्कारिक नेतृत्व से न केवल देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया बल्कि विश्व मंच पर भी भारत की धाक जमा दी|
इंदिरा ने जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी| वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया| इंदिरा गाँधी न सिर्फ एक कुशल प्रशासक थीं बल्कि उनके नेतृत्व में भारत ने विश्व पटल पर अपनी छाप छोड़ी| देश में परमाणु कार्यक्रम और हरित क्रांति लाने का श्रेय इंदिरा गांधी को ही जाता है| उन्होंने आधुनिक भारत की नीव रखी, जिसने विश्व पटल पर देश को एक नयी पहचान दिलाई|
भारत ने परमाणु शक्ति के रूप में उभरते हुए साल 1974 में राजस्थान के रेगिस्तान में बसे गांव पोखरण में ‘स्माइलिंग बुद्धा’ के नाम से सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षण किया| शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परीक्षण का वर्णन करते हुए भारत दुनिया की सबसे नवीनतम परमाणु शक्तिधर बन गया| 1960 में उन्होंने संगठित हरित क्रांति गहन कृषि जिला कार्यक्रम (आईएडीपी) की शुरुआत की| इसका उद्देश्य देश में चल रही खाद्द्यान्न की कमी से निपटना था|
हालांकि, इंदिरा गाँधी के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे| इसके बाद 26 जून 1975 को संविधान की धारा- 352 के प्रावधानानुसार आपातकालीन की घोषणा उनके राजनितिक जीवन का सबसे गलत कदम साबित हुआ और देश में उनके लिए नाराज़गी फ़ैल गयी| इसके बाद साल 1981 में ओपरेशन ब्लू स्टार’ उनके जीवन की सबसे बड़ी गलती साबित हुई| सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं| 31 अक्टूबर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या कर दी गई|
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