दीपावली का त्योहार आते ही सभी घरों में साफ-सफाई व साज सज्जा की शुरूआत हो जाती है। दिवाली का जिक्र होते ही आंखों के सामने दीपों की जगमगाहट और कानों में पटाखे की आवाज गूंज उठती है। जहां सभी चाहते हैं कि उनके घर की सजावट पारंपरिक होने के साथ साथ कुछ अलग हट कर हो, वहीं अधिक खर्च से बजट गड़बड़ा जाने की चिन्ता भी सबको सताती है। ऐसे में कम खर्चे में ही रचनात्मक तरीकों को अपनाकर घर की शोभा बढ़ाई जा सकती है।
दिवाली पर बंदनवार व रंगोली बनाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। आज बाजार में बहुत प्रकार के बंदनवार उपलब्ध है, लेकिन आप चाहें तो अपने घर पर ही बंदनवार बना सकते हैं जो बजट में कम होने के साथ आर्कषक भी लगेगी और आप अवश्य ही तारीफ की पात्र भी होंगी। पुराने जमाने में लोग अपने घरों के दरवाजों पर रंगीन फूलों, अशोक व आम के पत्तों आदि से बंदनवार सजाते थे, लेकिन इस आधुनिक युग में सबको चलन से हटकर चलना पसंद है इसलिए कुछ नए प्रकार के बंदनवार बनाए जा सकते हैं। इनमें जरी बार्डर बंदनवार बनाने के लिए कोई भी व्यक्ति अपनी पंसद के साइज के बुकरम के दोनों तरफ जरी बार्डर लगा सकता है, फिर उस पर स्टोन व मिरर चिपका दे, अंत में मोती या घुंघरू भी सुई धागे की सहायता से लगाई जा सकती है। इसे अपने दरवाजे पर लगाएं, यह डिजाइनर होने के साथ-साथ पारंपरिक लुक भी देगा।
इसी तरह सुनहरा चमकीला बंदनवार बनाने के लिए बुकरम की चौड़ी पट्टी पर फेविकोल की मदद से सुनहरा रंग चिपकाएं फिर उस पर टिशू का रिबन बनाकर डिजाइन तैयार करें। अब फूल पत्तियां चिपकाएं। फिर सुई-धागे में मोती और सितारे पिरो कर बंदनवार में जगह-जगह लगाएं। इस तरह आकर्षक बंदनवार बनाकर घर सजाया जा सकता है। इसके अलावा दीपावली पर खास महत्व रखने वाले दीयों की जगमगाहट से दीवाली की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं, पर इनके साथ कुछ नए तरीके अपनाकर और भी आकर्षक बनाया जा सकता है। बाजार में उपलब्ध मोमबत्ती जिनके साथ नीचे छोटा स्टैण्ड होता है, उन्हें ले आइए फिर घर में उपलब्ध बहुत सारे कांच के छोटे छोटे व रंगीन जार में इन्हें रखें। यह एक नया ही लुक देगा।
आप चाहें तो इन जारों को एक सपाट आईने पर समूह में सजा कर रख सकते है। कॉफी मग में बहुत सारी लंबी मोमबत्ती को काफी मात्रा में एक साथ रखें और जलाएं, यह बहुत ही खुबसूरत लगता है। बाजार में उपलब्ध डिजाइनर दीये दीवाली की चमक को ओर बढ़ा देते हैं। घर की साज-सजावट के साथ-साथ पूजास्थल की सजावट का भी अपना ही महत्व है। अपने पूजास्थल के आस-पास के क्षेत्र को सजाने के लिए चौड़ी बार्डर वाली बांधनी दुपट्टे या सिल्क साड़ियों का प्रयोग किया जा सकता है। इन्हें झालर के रूप में टेप से चिपकाएं। यह निश्चित रूप से सजावट को नया रूप देगा। रंगोली के बिना दीवाली की सजावट अधूरी ही लगती है। पारंपरिक रंगोली को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए इसमें अलग-अलग रंगों की दालों तथा फूल पत्तियों को प्रयोग कर सकते हंै जो रंगोली को पारंपरिकता के साथ-साथ आधुनिक झलक भी देगा और देखने वाला तारीफ किए बगैर नहीं रह पाएगा।
दीवाली के त्यौहार में इन सबके साथ एक महत्वपूर्ण तथ्य है कि पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के प्रति आप कितने जागरूक हैं। दीवाली के धूम धड़ाके में हम यह भूल जाते हैं कि इन पटाखों से हम वातावरण को कितना अधिक प्रदूषित कर रहे हैं। अगर आप दीवाली पर्यावरण के अनुकुल मनाए तो निश्चित ही आप रोशनी के इस त्यौहार पर सभी को एक संदेश देंगे कि प्रकृति की सुरक्षा हम सभी का फर्ज है।
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