होलिका दहन 16 को, जानिए क्या है शुभ समय





होली का त्यौहार हमारी पौराणिक कथाओं में श्रद्धा विश्वास और भक्ति का त्यौहार माना गया है तथा साथ ही होली के दिन किये जाने वाले अद्‌भूत प्रयोगों से मानव अपने जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति भी पा सकता है। होली हर वर्ष फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनायी जाती है तथा भद्रारहित समय में होली का दहन किया जाता हैं। इस बार होलिका दहन 16 मार्च दिन रविवार को है| आपको बता दें कि प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भ्रद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता हैं| 





होलिका दहन में आहुतियाँ देना बहुत ही जरुरी माना गया है इसलिए याद रहे कि होलिका दहन में आहुतियाँ जरुर दें| होलिका दहन होने के बाद होलिका में जिन वस्तुओं की आहुति दी जाती है, उसमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग है. सप्त धान्य है, गेंहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर आदि है|





पूजन विधि -





ध्यान रहे होलिका दहन से पहले होली की पूजा की जाती है| जिस वक्त आप होली की पूजा कर रहे हों उस समय आपका मुख पूर्व या उतर दिशा की ओर होना चाहिए उसके पश्चात निम्न सामग्रियों का प्रयोग करना चाहिए|





एक लोटा जल, माला, रोली, चावल, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल आदि का प्रयोग करना चाहिए| इसके अलावा नई फसल के धान्यों जैसे- पके चने की बालियां व गेंहूं की बालियां भी सामग्री के रुप में रखी जाती है| इसके बाद होलिका के पास गोबर से बनी ढाल रख दें| 





होलिका दहन मुहुर्त समय में जल, मोली, फूल, गुलाल तथा गुड आदि से होलिका की पूजा करें| गोबर से बनाई गई ढाल की चार मालाएं अलग से घर लाकर सुरक्षित रख लें इसमें से एक माला पितरों के नाम की, दूसरी हनुमान जी के नाम की, तीसरी शीतला माता के नाम की तथा चौथी अपने घर- परिवार के नाम की होती है|





होली – होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहि‌ए :-





अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः ।





अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌ ॥





होलिका दहन के पश्चात उसकी जो राख निकलती है, जिसे होली – भस्म कहा जाता है, उसे शरीर पर लगाना चाहि‌ए। होली की राख लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहि‌ए :-





वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च ।





अतस्त्वं पाहि माँ देवी! भूति भूतिप्रदा भव ॥





ऐसा माना जाता है कि होली की जली हु‌ई राख घर में समृद्धि लाती है। साथ ही ऐसा करने से घर में शांति और प्रेम का वातावरण निर्मित होता है।





शुभ मुहूर्त-





होली पूजन के पश्चात होलिका का दहन किया जाता है। यह दहन सदैव उस समय करना चाहि‌ए जब भद्रा लग्न न हो। ऐसी मान्यता है कि भद्रा लग्न में होलिका दहन करने से अशुभ परिणाम आते हैं, देश में विद्रोह, अराजकता आदि का माहौल पैदा होता है। इसी प्रकार चतुर्दशी, प्रतिपदा अथवा दिन में भी होलिका दहन करने का विधान नहीं है। होलिका दहन के दौरान गेहूँ की बाल को इसमें सेंकना चाहि‌ए। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन के समय बाली सेंककर घर में फैलाने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। दूसरी ओर होलिया का यह त्योहार न‌ई फसल के उल्लास में भी मनाया जाता है।





तो आइए जाने इस वर्ष क्या है शुभ मुहूर्त-





हमारे ज्योतिशाचर्य के मुताबिक 16 मार्च को रात 10 बजकर 27 मिनट पर होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का शुभ मुहूर्त है। चौघडिय़ा के हिसाब से भी होलिका दहन किया जा सकता है। इस बार का होलिका दहन भद्रा मुक्त रहेगा। सुबह 9 बजकर 45 मिनट पर भद्रा खत्म हो जाएगी। रात पूरी तरह से भद्रा मुक्त है।





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