होली बसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्यौहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन कहते है। होलिका दहन में एक परंपरा जो बरसों से चली आ रही है वह है जलती होली में नया अन्न या धान डालने की| क्या आप जानते हैं कि आखिर जलती होली में धान या नया अन्न क्यों डाला जाता है अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं|
आपको बता दें कि इस परंपरा का कारण हमारे देश का कृषि प्रधान होना है। होलिका के समय खेतों में गेहूं और चने की फसल आती है। ऐसा माना जाता है कि इस फसल के धान के कुछ भाग को होलिका में अर्पित करने पर यह धान सीधा नैवैद्य के रूप में भगवान तक पहुंचता है। होलिका में भगवान को याद करके डाली गई हर एक आहूति को हवन में अर्पित की गई आहूति के समान माना जाता है।
इसके अलावा यह भी मान्यता है कि इस तरह से नई फसल के धान को भगवान को नैवैद्य रूप में चढ़ा कर और फिर उसे घर में लाने से घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहता है। इसलिए होलिका में धान डालने की परंपरा बनाई गई। आज भी हमारे देश के कई क्षेत्रों में इस परंपरा का अनिवार्य रूप से निर्वाह किया जाता है।
इसलिए याद रहे जब भी आप होलिका दहन में जाएँ तो अपने साथ धान या फिर नया अन्न जरुर लेकर जाएँ|
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